Shodashi - An Overview
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The Matrikas, or even the letters of the Sanskrit alphabet, are viewed as the delicate sort of the Goddess, with each letter holding divine electrical power. When chanted, these letters Mix to form the Mantra, creating a spiritual resonance that aligns the devotee While using the cosmic Vitality of Tripura Sundari.
एकस्मिन्नणिमादिभिर्विलसितं भूमी-गृहे सिद्धिभिः
पञ्चबाणधनुर्बाणपाशाङ्कुशधरां शुभाम् ।
संहर्त्री सर्वभासां विलयनसमये स्वात्मनि स्वप्रकाशा
सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥
ह्रींमन्त्राराध्यदेवीं श्रुतिशतशिखरैर्मृग्यमाणां मृगाक्षीम् ।
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लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे
या देवी हंसरूपा भवभयहरणं साधकानां विधत्ते
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?
Cultural functions like people dances, songs performances, and performs will also be integral, serving being a medium to impart common tales and values, Primarily into the more youthful generations.
इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) check here के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥